कुछ रुपयों के खातिर बच्चों के सुनहरे भविष्य को बर्बाद करते प्राइवेट स्कूल!

ज्यादातर प्राइवेट स्कूल टीचिंग जॉब क लिए हाई क्वालिफाइड (ज्यादा पढ़े लिखे ) टीचर्स को अप्पोइंट करने से पीछे हटते हैं, चुकी ज्यादा पढ़े लिखें होंगे तो सैलरी भी अच्छी देनी होगी! ऐसे प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स की एजुकेशन या बच्चों के भविष्य से कोई मतलब नहीं रखते, इन्हे सिर्फ बिज़नेस दिखाई देता है और खुदका फायदा एवं नुकसान! इसी कारण ऐसे स्कूल लौ एडुकेटेड (कम पढ़े लिखे ) टीचर्स को अप्पोइंट कर लेते हैं, ताकि सैलरी कम देनी पडे और इनका मुनाफा बढ़ता रहे!

चंद पैसों के खतिर बच्चों का भविष्य बर्बाद करते बिज़नेस माइंडेड प्राइवेट स्कूल के डयरेक्टर्स! 

अब रही बच्चों की बात तो कई स्कूल पेरेंट्स से बोलकर की आपका बच्चा थोड़ा वीक है तो इसको एक्स्ट्रा क्लास की ज़रूरत है, यह बोलकर ऐसे प्राइवेट स्कूल अपने स्कूल टीचर की अयोग्यता को छिपा लेते हैं! और पेरेंट्स को लगता है की उनका बच्चा पढ़ाई में वीक है तो एक्स्ट्रा क्लास के लिए राज़ी हो जाते हैं! और फिर ऐसे स्कूल एक्स्ट्रा क्लास के नाम पर फिर एक मोटी फीस की डिमांड करते हैं और अपने उन्हीं अयोग्य टीचर्स से एक्स्ट्रा क्लास देने को बोलकर अपनी इनकम को बड़ा लेते हैं और उन टीचर्स की भी!

स्कूल को दोगुनी फीस देकर भी बच्चा एग्जाम में पास तो हो जाता है पर बाकि अच्छे स्कूल के बच्चों की तरह इंटेलीजेंट नहीं बन पता और फिर वह उन इंटेलीजेंट बच्चों से खुद को कमपेयर करने लगता है और फील करने लगता है की वह पड़ने में अच्छा नहीं है कमज़ोर है और उसे पढ़ाई समझ नहीं आती! यह सोच सोच कर वह डिप्प्रेस होने लगता है और पढ़ाई से खुद को अलग कर लेता है! जब बच्चा खुद को पढ़ाई से अलग कर लेता है फिर माता पिता की बहुत कोशिश के बाद भी बच्चा पढ़ाई से दूर ही रहता है और एक समय के बाद माता पिता भी उसे समझा समझा कर थक जाते है! फिर ऐसे स्टूडेंटस की लाइफ बिना एजुकेशन के या कम एजुकेशन के साथ ही नक़ल जाती है, यां यूँ कहें की एक अनपढ़ इंसान की तरह इनकी ज़िन्दगी निकल जाती है! और इनका भविष्य ख़राब नहीं बल्कि कोई भविष्य ही नहीं रहता!

(केवल उन प्राइवेट स्कूल् के लिए जहाँ शिक्षा धर्म नहीं बिज़नेस है )

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