नौकरी के साथ प्राइवेट क्लिनिक का संचालन करते सरकारी डॉक्टर्स, इलाज के इंतज़ार में सड़क पर मरता गरीब!

सरकार के द्वारा गरीब कल्याण के लिए कई सारी योजनाए चलाई जाती थी एवं चलाई जा रही है, और इनमे से कई सारी योजनाए गरीब के स्वास्थ के लिए भी चलाई जाती हैं परन्तु इन योजनाओ का क्या मतलब जब किसी गरीब को इलाज की आवश्यकता हो लेकिन वह इलाज के अभाव में अपना दम तोड़ दे! आज हम हर दूसरे दिन अख़बार या न्यूज़ में यह पढ़ या सुन लेते है की डॉक्टर ना होने के कारण या डॉक्टर के इंतज़ार में मरीज के मौत हो गयी! अगर गरीब इलाज के अभाव में अपना दम तोड़ रहा है तो इन स्वास्थ व्यवस्थाओं एवं योजनाओं से क्या लाभ जो गरीब कल्याण के लिए चलाई जा रही हैं!

एक तरफ इलाज़ के अभाव में मौत को गले लगाने पर मज़बूर गरीब और दूसरी तरफ प्राइवेट क्लिनिक का संचालन करते सरकारी डॉक्टर्स जो इन गरीब की मौतों के ज़िम्मेदार हैं! जब कोई गरीब इलाज के अभाव में मर जाता है तब शासन के और से मिलने वाली मदद का नाम है जाँच, की हम जाँच करेंगे की कौन जिम्मेदार है और जो जिम्मेदार होगा उसके खिआफ़ कार्यवाही की जाएगी और उसके बाद ना जाँच का कुछ पता चलता है और ना ही कार्यवाही की कोई जाकारी न्यूज़ या अख़बार में आती है!

सरकार उन डॉक्टर्स के खिलाफ कोई कर्यवाही क्यों नहीं करती जो वर्किंग ऑवर में भी प्राइवेट क्लिनिक का संचालन करते है, जब सरकार उनको अच्छी सैलरी दे रही है फिर भी यह वर्किंग टाइम में पहले अपना प्राइवेट क्लोनिक का काम करते उसके बाद सरकारी हॉस्पिटल में काम करते! लगभग हर सरकारी डॉक्टर अपने प्राइवेट क्लिनिक का संचालन अवश्य करता है!

सरकार क्यों कोई ठोस कदम नहीं उठाती जिससे इलाज के अभाव में मरने वालों की लिस्ट न बने! सरकार को इलाज के अभाव में मरने वालों के परिवार का भरण पोषण उन जिम्मेदार डॉक्टर्स के द्वारा करना चाहिए ताकि यह डॉक्टर्स वर्किंग टाइम में अपने क्लिनिक की जगह सरकारी हॉस्पिटल में काम करें!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top