राजगद्दी के लिए अपने देश के मुद्दों पर पड़ोसियों के साथ चर्चा कर, उन्हें हस्तक्षेप के लिए आमंत्रित करना सही है क्या?

“राजनीती” एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर शायद सभी को राजगद्दी नज़र आती है, परन्तु कुछ समय पहले तक राजनीती का अर्थ जनता की भलाई एवं समाज सेवा के कार्यों में रूचि रखना तथा मौका मिलने पर “जन प्रतिनिधि” बनकर जनता की भलाई एवं समाज सेवा के लिए बेहतर नीतियां बनाकर सरकार से जनता की आवाज़ बनकर उन नीतियों पर अमल करने के लिए अनुरोध करना!

परन्तु आजकी राजनीती का अर्थ पुराने अर्थ से बिलकुल विपरीत है, आज राजनीती का अर्थ एक बहुत ही बेहतर अवसर आजीविका एवं जन शक्ति के लिए! आज की राजनीती में सभी नेता एवं राजनैतिक पार्टी खुद को एक दूसरे से बेहतर बताने से नहीं चुकती! सभी राजनैतिक पार्टियां अपने नेता को “जन प्रतिनिधि” बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है जिनमे लुभावने वादे, मुफ्त की रेबड़ियाँ, जन सेवा के नाम पर रूपए आदि!

कुछ राजनेता तो “जन प्रतिनिधि” बनकर जनता की सेवा करने के बजाये विदेशों में जाकर बड़ी बड़ी संस्थओं में जाकर अपने देश की गलत छवि बनाने में जुटे हुए है, विदेशों में जाकर बड़े संस्थानों में अपने देश के अंदरूनी मुद्दों को उछाल कर उनपर चर्चा करते हैं, और उन्हें आमंत्रित करते है देश में आकर उन मुद्दों पर नज़रिय देने के लिए! ये राजनेता ऐसा क्यों करते यह सोच के परे है जबकि यह जानते हैं की अपने देश के अंदरूनी मुद्दों एवं झूटी अफवाहों पर गलत जगह चर्चा करने से देश की छवि ख़राब होती है परन्तु इन्हें इससे कोई मतलब नहीं!

ऐसे राजनेताओ को सिर्फ दुनियाँ के सामने खुद को प्रस्तुत करना होता है अब चाहें अपने देश की झूटी अफवाहों के बारे में बोलें यां देश के अंदरूनी मुद्दे इन्हें कोई फ़र्क़ नहीं समझ आता, केवल खुद को प्रस्तुत करना होता है!

इनका ऐसा चरित्र देखकर भी जनता इनपर विश्वास जताकर ऐसे राजनेताओं को अपना “जन प्रतिनिधि” बनाती है, बावजूद इसके ये बार बार जनता का विश्वास तोड़ते है! अब जनता की नैतिक जिम्मेदारी है की ऐसे राजनेताओं को चिन्हित कर इन्हें “जन प्रतिनिधि” बनने से रोकना, ताकि दुनिया के सामने हमारे देश छवि एवं नजरिया दोनों ही बेहतर एवं स्पष्ट रहे!

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