मध्य प्रदेश पटवारी परीक्षा में हुआ भ्रष्टाचार क्या केवल एक नया भ्रष्टाचार है यां आगामी चुनावों में प्रचार करने हेतु प्रचार निधि एकत्रित करने की कोई रणनीति? यही प्रशन लगभग सभी प्रदेश वासियों एवं सभी छात्रों के मन में उत्पन्न हो रहा है , ऐसा प्रशन मन में उत्पन्न होना स्वाभाविक भी है क्योकि परिस्थिति ही ऐसी उत्पन्न हो रही है!
प्रदेश वासियों के मन में प्रश्न क्यों?
चूँकि पटवारी की परीक्षा शुरू होने से बहुत पहले ही लगभग सभी प्रदेश वासियों के कानों में यह जानकारी पहुंच चुकी थी की पटवारी में सिलेक्शन के लिए “रिश्वत” ली जा रही है जोकि 15 लाख से 40 लाख तक है एवं यह एक आम जानकारी बन चुकी थी! इसके बाद जिसके पास इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था थी उन्होंने “रिश्वत” देकर अपने सदस्य की नौकरी पक्की की और जिनके पास इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं थी उनमें से कुछ मेहनत के भरोसे थे और कुछ भगवन के! जब कोई जानकारी लगभग प्रदेश के हर व्यक्ति के पास पहुच गयी एवं इससे स्पष्ट है की सरकार को भी इस भ्रष्टाचार की पूर्ण जानकारी होगी, बावजूद इसके सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया एवं पटवारी परीक्षा के परिणाम आने पर भी मोन, एवं जब प्रदेश के कई सरे कोचिंग संस्थापक जैसे “Winners Institute Indore” के संस्थापक “Aditya Patel Sir” एवं अन्य के समर्थन से लाखों छात्रों के सड़क पर उतरने के बाद “मप्र सरकार” द्वारा धीमे स्वर में सोशल साइट “twitter” पर एक कमेंट के द्वारा “पटवारी परीक्षा के परिणामों” के दुबारा परिक्षण की जानकारी दी, परन्तु स्पष्ट रूप से सामने आकर मुख्य मंत्री एवं किसी मंत्री ने कुछ नहीं कहा! प्रदेश सरकार का ऐसा व्यव्हार मन में शंका उत्पन्न करता है की “यह केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि आगामी चुनावों में प्रचार करने हेतु प्रचार निधि एकत्रित करने की कोई रणनीति है!
छात्रों के मन में प्रश्न क्यों?
प्रदेश के सभी छात्रों को वह सभी जानकारी थी जो सभी प्रदेश वासियों परन्तु इसके कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे छात्रों के मन में शंका उत्पन्न की है वह कारण इस प्रकार हैं -:
- मध्य प्रदेश की परीक्षा में MPGK का न के बराबर पूछा जाना!
- काफी लम्बे समाधान के प्रशनो का आना और समय बर्बाद होना!
- परीक्षा नमूने के अनुसार पर्याप्त समय न मिलना!
- परीक्षा का अचानक पाठ्यक्रम बदल देना एवं तैयारी के लिए समय न मिलपना!
अचानक इतना बदलाव होने के बाद छात्रों के अंक मेरिट के अनुसार आना लगभग असंभव रहेगा और फिर जिनसे “रिश्वत” ली है उनके अंक मेरिट के हिसाब से देना बहुत आसान होगा, एवं अंक ज्यादा न आने पर कोई छात्र आवाज़ भी नहीं उठा पायेगा! और ऐसा हुआ भी जैसा भ्रष्टाचारियों ने सोचा, परन्तु उनका आत्मविश्वास की अंक ज्यादा न आने पर कोई छात्र आवाज़ भी नहीं उठा पायेगा यह गलत साबित हुआ, चूँकि उनका भ्रष्टाचार ही इतना बड़ा है की किसी से भी अनदेखा नहीं हुआ!
आशा है की “शिवराज सरकार” एवं सरकार का कोई भी “मंत्री” इस भ्रष्टाचार में लिप्त ना हो एवं “शिवराज सरकार” इस भरष्टाचार पर कड़ी कार्यवाही करेगी!