दुनिया में बहुत सारे देश हैं और लगभग हर एक देश की अपनी संस्कृति और अपनी भाषा है ठीक ऐसे ही भारत देश की भी अपनी सांस्कृतिक विरासत है और अपनी भाषा , और भारत देश में तो कहावत है की “भाषा में जज्बात हैं”!
भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा “हिंदी” है और भारत में सबसे ज्यादा सीखी जाने वाली भाषा “अंग्रेजी” है जो की भारत की नहीं है, जब अंग्रेजो ने भारत को गुलाम बनाया तभी से “अंग्रेजी” भाषा का भी शासन भारत पर होना शुरू हो गया था चूँकि हमारे पूर्वजों ने हमारे देश को तो अंग्रेजों से आजाद करवा लिया परन्तु उनकी भाषा “अंग्रेजी” आज भी भारत पर शासन कर रही है!
और इसी “अंग्रेजी” भाषा के शब्दों को सिखने के लिए एक किताब है जिसे “हिंदी से अंग्रेजी डिक्शनरी” कहते हैं, इसी किताब से हम सभी हिंदी भाषा के “शब्दों” का अनुवाद अंग्रेजी भाषा के “शब्दों” में करते है (जैसे हिंदी शब्द “पानी” को अंग्रेजी में “Water” कहते हैं) और ये बहुत अच्छी भी है परन्तु हम अपनी भाषा के अंग्रेजी अनुवाद में इतना खो चुके हैं की हम अपनी हिंदी भाषा के सभी शब्द अंग्रेजी में अनुवाद कर चुके हैं बिना कुछ सोचे, आइये जानने की कोशिश करते हैं….
भारत देश की अपनी प्रथाएं है जो किसी दूसरे देश से थोड़ी बहुत मेल खा सकती है परन्तु पूर्णता नहीं! जैसेकि “शादी” जिसे अंग्रेजी में “मैरिज” कहते हैं लेकिन हमारे यहाँ शादी के “सात फेरे होते है, हल्दी की रस्म, मेहँदी की रस्म” जो की किसी और देश में नहीं होते ठीक ऐसे ही ऐसे ही कुछ शब्द हैं जिनका अनुवाद किसी दूसरी भाषा में नहीं मिलता जैसे देशों में मनाये जाने वाले त्यौहार -: दीपावली, रक्षाबंधन, होली, बैसाखी, ईद, क्रिसमस आदि इन सभी शब्दों को आप किसी अन्य भाषा में अनुवाद नहीं कर सकते क्योकि यह शब्द जिस संस्कृति से आये है वहीं हैं किसी अन्य संस्कृति में नहीं मिलते!
अंग्रेजों में “रिलिजन” शब्द है जो आपसे पूछता है की आप किस समूह से हो, किस “हौली प्लेस” पर अपने “इष्ट”को याद करते हो, इस्लाम में “मजहब” शब्द है जो आपसे पूछता है की आप किस समूह से हो, किस “हौली प्लेस” पर अपने “इष्ट”को याद करते हो, सनातन किसी से नहीं पूछता की आप किस समूह से हो, किस “हौली प्लेस” पर अपने “इष्ट”को याद करते हो क्योंकि “सनातन” में लोगों को बाँटने वाला कोई शब्द नहीं हैं, वही सनातन जो “संस्कृत” भाषा से शुरू होकर भाषा के विकास साथ आज “हिंदी” भाषी है जिन्हे पूरी दुनियाँ “हिन्दू” कहती है, “सनातन ही सत्य है”!
हमारे वेद, पुराणों में “धर्म ” शब्द इस्तेमाल:-
- अपने माता पिता की सेवा करना बच्चों का “धर्म” है!
- बड़ों का आदर करना छोटों का “धर्म” है!
- हमेशा सत्य का साथ देना ही आपका “धर्म” है
सनातन में सत्य के रस्ते पर चलने को धर्म कहा गया है, सनातन में किसी समूह की कोई व्याख्या नहीं की गयी है, इंसानों को बाँटने वाला कोई शब्द नहीं हैं! सनातन में पूरी दुनिया हमारा परिवार है जैसी बातें कही गई हैं
सनातन हमेशा “धर्म” के रस्ते पर चलने की शिक्षा देता है, इसके आगे आपको सोचना है की “Religion” या “मजहब” “धर्म” के अनुवाद हैं या नहीं!