स्टेशनरी/ कपडे की शॉप में बदलते प्राइवेट स्कूल्स!

ब्लॉग का टाइटल पढ़कर शायद आपको हसी आ रही होगी, किन्तु यह आप भी देख एवं समझ रहे होंगे की शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले हमारे स्कूल्स ने या यु कहूं के प्राइवेट स्कूल्स ने पहले शिक्षा को व्यापार बनाया, जब इस शिक्षा के व्यापार से उनकी संतुस्टी नहीं हुई तो इन्होने व्यापार के मुनाफे को आगे बढ़ाने के लिए एक नई योजना बना ली!

योजना भी इतनी मजबूत जो आपको मजबूर कर दे इन्हें अपनी मेहनत की कमाई को इन स्कूल व्यापारियों को खैरात में देने क लिए, क्यूंकि अपने बच्चों को शिक्षा जो दिलानी है, और शिक्षा दिलानी है तो इन व्यापारियों के हिसाब से चलने के आलावा हमारे पास दूसरा विकल्प ही नहीं है, या यूँ कहूं की हम दूसरा विकल्प ढूढ़ना नहीं चाहते!

स्कूल में शिक्षा का क्या स्तर है, टीचर्स की एलिजिब्लिटी क्या है, इन बातों से इन स्कूल व्यापारियों का कोई लेना देना नहीं है! इनका लेना देना है बस व्यापार से, मुनाफे से और मुनाफा बढ़ाने के तरीकों से! मुनाफा बढ़ाने के तरीको के बारे में क्या ही कहें, आपको भी पता ही होंगे पर फिर भी हम डिसकस कर ही लेते है एक बार -:

किताबें (BOOKS) :- जब हम स्कूल में पड़ते थे तब सभी स्कूल में स्टेट बोर्ड (MP बोर्ड) की किताबें चलती थी और हमें पूरी आज़ादी थी की जिस स्टेशनरी शॉप से लेनी हो लेलो! परन्तु अब प्राइवेट स्कूल्ज खुद अपनी पसंद के पब्लिशर की किताबें अपने ही स्कूल से अच्छे खासे मार्जिन पर डिस्ट्रीब्यूट करते हैं क्यूंकि स्टेट बोर्ड स्कूल को मान्यता देने के बाद कोई दखल नहीं देता और ना ही स्कूल की कोई इनफार्मेशन रखता!

कॉपी (Note Books) :- कॉपियां खरीदने की आज़ादी भी अब बच्चों को नहीं ,अब स्कूल पहले सिलेबस पर कॉपियां भी खुद से डिस्ट्रीब्यूट करने लगे है ताकि सभी बच्चों पर एक जैसी कॉपी हों और स्कूल मार्जिन भी कमाता रहे!

ड्रेस कोड (स्पोर्ट वियर, स्वेटर, ब्लेज़र और बाकि भी) :- ड्रेस कोड की तो क्या ही बात करें, 500 रूपए से 700 रूपए में मिलने वाला ट्रक सूट जिसे स्पोर्ट वियर कहते है वही ट्रक सूट स्कूल की तरफ से 1500 रूपए से 2000 रूपए तक में मिलता है! अब इसके आगे में क्या बोलू, आप जानते ही हैं की देश में सबसे ज्यादा महंगाई तो स्कूल्स में ही हैं!

जूते (shoes) :- आने वाले समय में ये भी मिलेंगे हा हा हा……. हा इंतज़ार करो!

हमारे पास एक बेहतर विकल्प और भी है की इस ब्लॉग को इतना शेयर करें की हम सबकी आवाज़ स्टेट बोर्ड एवं सरकार तक पहुंचे ताकि इस लूट पर कोई कार्यवाही हो!

(केवल उन प्राइवेट स्कूल् के लिए जहाँ शिक्षा धर्म नहीं बिज़नेस है )

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top