अगर कोई बेटा अपने पिता की कमाई पर जीवन यापन करे तो वह नाकारा और कामचोर, पर यदि कोई संपन्न व्यक्ति या संपन्न परिवार सरकारी खैरात पर जिए तो यह उसका हक़! ऐसा क्यों?

आज के समय जब सरकारी योजनाए शायद अपने चरम पर हैं, आज सरकार की तरफ से ज़रूरतमंदो को लगभग हर सुविधा मुफ्त में दी जा रही है चाहे वह अनाज हो या बिजली, गैस हो या मिट्टी का तेल, शिक्षा हो या इलाज, और भी कई सारी सुविधाएं हैं जो जरुरत मंदों को मुफ्त में दी जा रही हैं! परन्तु इन सुविधाओं का फायदा जरूरतमंदों से ज्यादा वो लोग या वह परिवार उठा रहे है जिनको शायद सरकारी मदद की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी इसे अपना हक़ समझकर थोड़ी बहुत नेता नगरी में पहुंच दिखाकर यह लोग इन सरकारी योजनाओं का भरपूर फायदा लेते हैं!

मेरा आप सभी बस एक छोटा सा प्रशन है की अगर कोई बेटा अपने पिता की कमाई पर जीवन यापन करता है तो उस बेटे को नाकारा, निकम्मा, बैठकर खाने वाला, और भी जाने क्या क्या बोलै जाता है, समाज में उसे कोई इज़्ज़त नहीं देता! अपने ही पिता की कमाई पर जीवन व्यतीत करना, जिसपर उस बेटे का पूरा हक़ है फिर भी समाज उसे हीन भावना से देखती है और सभी उसे भला बुरा कहते हैं!

परन्तु जब बात सरकारी योजनाओं द्वारा मुफ्त में राशन हो या बिजली, मुफ्त में गैस हो या मिट्टी का तेल, मुफ्त में शिक्षा हो या इलाज तो सभी इन योजनाओं का फायदा लेना चाहते! इन मुफ्त की योजनाओं का फायदा उठाते वक्क हमे कोई शर्मिंदगी को नहीं होती की मुफ्त में जब हम अपने खुद के बच्चे को बैठाकर नहीं खिला सकते तो सरकार से मुफ्त में लेकर हम क्यों खाये! जब एक बेटे को हक़ नहीं है अपने पिता की कमाई को बैठकर खाने का तो फिर हमे सरकारी खैरात को बटोरने का हक़ कहां से मिल गया!

जब हमारे बच्चे हमे ज़रूरत ना होते हुए भी सरकारी खैरात को बटोरते देखेंगे तब वह क्यों मेहनत से कमाने की सोचेंगे, वह भी यही सोचेंगे की सरकारी खैरात जब मिल रही है तो क्यों मेहनत करना, जब हमारे पिताजी को आवश्यकता नहीं थी वह तब भी सरकारी खैरात को बटोरते थे फिर हमें तो ज़रूरत है! इसीलिए में आप सभी से विनम्र निवेदन करता हूँ की यदि आप सक्षम है तो कृपया कर सरकारी मदद को लेने से परहेज़ करे वरना आपका आज का ये छोटा सा मुनाफा कल बहुत बड़ा घटा बनकर सामने आएगा!

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