यह सुनकर थोड़ा अजीभ लगा ना ? पर मेरे मुताबिक यही सच है बाकि यह ब्लॉग पढ़कर आपको तय करना है की मेरी सोच सही है या गलत! सरकार जो कर रही है वह सही है या गलत? यह जनता को ही तय करना है! अगर सरकार कुछ गलत सोच रखे या गलत नियत रखे तो जनता का फ़र्ज़ वह विपक्ष के साथ मिलकर आवाज़ उठाए!
भगवान को सिर्फ भक्ति और सम्मान ही दे सकता है मनुष्य, सम्मान निधि देने की हैसियत मनुष्य की नहीं है फिर किसानों को सम्मान निधि क्यों, किसान भी तो पृथ्वी पर भगवान का ही रूप है जो मनुष्य जाती का पालन पोषण कर रहा है! यह अपमान नहीं तो क्या है?
अगर मैं कहूं की भगवान के बाद अगर कोई है जो मनुष्य जाती को पाल रहा है उसे हम अपनी भाषा में किसान कहते है तो यह गलत नहीं होगा! चूँकि हम सभी जानते है की मनुष्य जाती को जिस भोजन की आवश्यकता होती है उसका उत्पादन एवं प्रबंध किसान ही करता है! धरती का सीना चीर कर अनाज पैदा करना सिर्फ किसान को अत है और सिर्फ किसान ही कर सकता है! साइंस कितनी भी तरक्की कर ले, वह सिर्फ बीज विकसित कर सकती है परन्तु उस बीज से अनाज उगाने का काम या बोले हुनर किसान के पास ही है!
इतनी बड़ी ताकत की झोली में चंद सिक्के डालकर और उसे किसान सम्मान निधि का नाम देना, किसान का सम्मान है या अपमान? जो किसान सारी मनुष्य जाती को पाल रहा है उसको क्या ज़रूरत है आपकी इस खैराती चंद सिक्को की! उसको सिर्फ सम्मान चाहिए आपकी नज़रों में और खेती में जो सामग्री इस्तेमाल होती है यूरिया, बीज आदि!
सरकार दुवारा शुरू की गई किसान सम्मान निधि योजना अगर वाकई किसानों के सम्मान के लिए है तो सरकार के दुवारा यह सम्मान सिर्फ उन किसानो के लिए क्यों है जिनके पास 3 बीघा या 5 बीघा ज़मीन हैं! अगर बात सम्मान की है तो यह सम्मान सभी किसानो के लिए होना चाहिए ना, लेकिन ऐसा नहीं है! किसान तो किसान होता है तो सम्मान में फर्क क्यों?
यह सम्मान सिर्फ गरीब किसानों के लिए है क्यूंकि हम जानते है की गरीब का पेट जल्दी भर जाता है और गरीब का दिल कमज़ोर होता है जिससे वह जल्दी पिघल जाता है और इसी बात का सरकार फायदा उठा रही है क्यूंकि गरीब किसानों का बहुत बड़ा वोट बैंक है और इन्हे अपनी ओर आकर्षित करना बहुत आसान है!