चूँकि आज के समय में फ़र्ज़ी रजिस्ट्री का चलन सा हो गया है! हम कहीं भी ज़मीन या कोई भी प्रॉपर्टी लेने की सोचते हैं तो मन में पहला सवाल यही आता है की ज़मीन या कोई भी प्रॉपर्टी जिसे हम लेना चाहते हैं वह फ़र्ज़ी तो नहीं होगी, जबकि हर ज़मीन या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री किसी प्राइवेट ऑफिस से नहीं होती ना ही किसी ब्रोकर के पास जाकर, रजिस्ट्री सरकारी ऑफिस रजिस्ट्रार ऑफिस से ही होती है!
अगर कोई भी किसी प्रॉपर्टी खरीदता है तो वह उस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री उसे रजिस्ट्रार ऑफिस से ही करना होता है! और जब वह रजिस्ट्री करवाने के लिए एडवोकेट द्व्रारा तैयार किये डाक्यूमेंट्स देता है जिसमे प्रॉपर्टी बेचने वाला, प्रॉपर्टी खरीदने वाला एवं प्रॉपर्टी किस जगह पर है, यह पूरी जानकारी लिखी होने के बाद वह रजिस्ट्री के लिए आवेदन देता है! रजिस्ट्री का आवेदन प्राप्त होने के बाद रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होती है, उसके बाद प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो जाती है और खरीददार खुश होकर घर चला जाता है!
परन्तु परेशानी तब आती है जब खरीददार अपनी प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा लेने जाता है तब उसे पता चलता है की जिस प्रॉपर्टी की उसने रजिस्ट्री करवाई है वह प्रॉपर्टी किसी और की है एवं उसने जिस प्रॉपर्टी करवाई है वह प्रॉपर्टी यांतो कही और होती है या किसी और के नाम से पहले ही हो चुकी है, सरकारी अधिकारी किसी भी विषय पर हस्तक्षेप नहीं करते, उन्हें सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिलती !
क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती की किसी भी खरीददार ने रजिस्ट्री करवाई है और अगर उस खरीददार के साथ फर्जीवाड़ा होता है तो सरकार फ़र्ज़ी रजिस्ट्री को सत्यापित कर जिस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हुई है वह उस प्रॉपर्टी पर खरीददार का कब्ज़ा दिलाये यदि ऐसा नहीं हो सकता तो खरीददार ने रजिस्ट्री के लिए जो मोटी फीस दी है उसे सरकार खरीददार को वापस करे!
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