“हम भारत के लोग”, यह वाक्य बोलने में हम सभी भारतीय खुद में गर्व महसूस करते है, यह महत्वपूर्ण शब्द हमारे संविधान का प्रथम वाक्य है! वही संविधान जिसने हमे जीने का हक, बोलने की आज़ादी एवं वोट देने का हक़ जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं, हमारे संविधान ने ने हमें पूर्णता स्वतंत्रता दी है चाहे वह धर्म की बात हो, जाती की बात हो, घूमने की बात हो या बोलने की या किसी प्रतिनिधि को वोट देने की! यह सिर्फ भारत की बात नहीं है बल्कि विश्व के सभी देशों की बात है!
वोट देने जो संवैधानिक अधिकार जनता को संविधान से मिला है, जनता उसी संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर अपने पसंद के राजनैतिक प्रतिनिधि उम्मीदवार को वोट देकर अपना जन प्रतिनिधि स्वीकार करती है! जनता जिसे अपना जन प्रतिनिधि स्वीकारती है उसी राजनैतिक प्रतिनिधि को वोट देकर अपना जन प्रतिनिधि स्वीकार करती है! वोट देने का अधिकार अगर जनता को है तो जनता अपनी पसंद का ही जन प्रतिनिधि चुनेगी, जनता को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता की वह किस पार्टी को वोट दे रही है , जनता सिर्फ अपनी पसंद का जन प्रतिनिधि चाहती है एवं उसी को वोट देती है!
चाहे कोई पार्षद हो, विधायक हो, सांसद हो, यह सभी जनता के वोटों से हो जन प्रतिनिधि बनते हैं एवं इनका बहुमत ही महापौर (जिला सरकार), मुख्यमंत्री (राज्य सरकार) एवं प्रधानमंत्री (केंद्र सरकार) तय करता है!
जब जिला सरकार, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार जनता के वोटों से ही बनती है अर्थात जनता ही उन्हें अपना प्रतिनिधि बनती है तो आप उन जीते हुए जान प्रतिनिधियों को अपशब्द बोलकर अप्रत्यक्ष रूप से जनता को अपशब्द क्यों बोल रहें हैं जबकि आप जानते है की जनता के वोटों ने ही उन्हें जान प्रतिनिधि बनाया है! यह अपशब्द सिर्फ उनकी छवि को ख़राब करते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से जनता को अपशब्द कहते है! किसी जान प्रतिनिधि को अपशब्द कहने की वजाये आप जनता के सामने कुछ और बेहतर कर सकते हैं जिससे आप जनता की पसंद बन सकें!